Solar Inverter: सोलर इन्वर्टर क्या है?

सोलर इन्वर्टर (Solar Inverter) जिसे पीवी इन्वर्टर भी कहा जाता है, एक प्रकार का इलेक्ट्रिकल कन्वर्टर है जो सोलर पैनल से प्राप्त होने वाली फोटोवोल्टिक (पीवी) दिष्ट धारा (DC current) को प्रत्यावर्ती धारा (AC current) में बदल देता है। सोलर पैनल सूरज से उन पर पड़ने वाली किरणों की ऊर्जा को डायरेक्ट करंट (डीसी) में बदल देते हैं। अगर तकनीकी भाषा में सोलर इन्वर्टर को परिभाषित करें तो सोलर इन्वर्टर (Solar Invrter) एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो सोलर पैनल से प्राप्त डायरेक्ट करंट (DC) को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में परिवर्तित करता है, इसके द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को हम अपने घर के उपकरणों को चलाने तथा अन्य क्रियाकलापों में प्रयोग कर सकते हैं।
Solar Inverter कैसे काम करता है?
DC to AC conversion : डीसी से एसी रूपांतरण
सूर्य के प्रकाश के सोलर पैनल पर पड़ते ही सोलर पैनल डीसी करंट का उत्पादन करने लगते हैं। लेकिन, हमारे आसपास मौजूद अधिकांश उपकरण चलने के लिए AC पावर का उपयोग करते हैं। सोलर इन्वर्टर, इस समस्या का समाधान डीसी ऊर्जा को एसी ऊर्जा में परिवर्तित करके करता है।
Maximum Power Point Tracking (MPPT):अधिकतम पावर प्वाइंट ट्रैकिंग
एडवांस सोलर इनवर्टर एमपीपीटी तकनीक का उपयोग करते हैं। एमपीपीटी यह सुनिश्चित करता है कि इन्वर्टर वोल्टेज और करंट को एडजस्ट करके सोलर पैनलों से अधिकतम बिजली निकाले।
Grid Connection:ग्रिड कनेक्शन
ग्रिड-कनेक्टेड सिस्टम के लिए, सोलर इन्वर्टर की उपयोगिता ग्रिड के साथ सिंक्रोनाइजेसन करने होती है। यह सुनिश्चित करता है कि सोलर पैनलों द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त ऊर्जा ग्रिड में वापस सप्लाई हो, जिससे आप क्रेडिट अर्जित कर सकें या अपना बिजली बिल कम कर सकें।
Off-Grid System:ऑफ-ग्रिड सिस्टम
दूरदराज के इलाकों में या बिजली कटौती के दौरान, ऑफ-ग्रिड इनवर्टर काम आते हैं। जिन स्थानों पर ग्रिड की सप्लाई उपलब्ध नहीं होती वहां के लिए ऑफ ग्रिड सिस्टम सबसे बेहतर विकल्प हैं। ये बैटरी मे अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरी में संग्रहीत करते हैं और निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करते हैं।
Solar Inverter के प्रकार
Solar Inverter इनके उपयोग के आधार पर चार प्रकार के हो सकते हैं –
String Inverter:स्ट्रिंग इनवर्टर

यह आमतौर पर छोटे और मध्यम आकार के सोलर ऊर्जा सिस्टमों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इन्वर्टर है । स्ट्रिंग इन्वर्टर सोलर पैनलों की एक श्रृंखला, जिसे “स्ट्रिंग” कहा जाता है, से जुड़ा होता है और उनकी संयुक्त डीसी आउटपुट को एसी में परिवर्तित करता है। Sungrow, Huawei कुछ प्रमुख स्ट्रिंग इन्वर्टर मनुफक्चरर्स हैं।
Micro-inverter:माइक्रोइन्वर्टर

माइक्रोइन्वर्टर सोलर सिस्टम में प्रत्येक सोलर पैनल का अपना इन्वर्टर होता है। स्ट्रिंग इन्वर्टर में जहां एक खराब पैनल पूरे सिस्टम को प्रभावित कर सकता है वही माइक्रोइन्वर्टर सिस्टम में अगर एक पैनल पर छाया पड़ जाए, तो भी बाकी पैनल अधिकतम बिजली बनाते रहते हैं।
यह उन छतों के लिए फायदेमंद है जहां पेड़ों या आस-पास की इमारतों से कभी-कभी पैनलों पर छाया पड़ती रहती है। हालाँकि, माइक्रोइन्वर्टर आम तौर पर स्ट्रिंग इन्वर्टर से थोड़े महंगे होते हैं। Enphase एक प्रमुख माइक्रो इन्वर्टर मैन्युफैक्चरर है।
Hybrid Inverter:हाइब्रिड इनवर्टर
हाइब्रिड इन्वर्टर एक बहु-उपयोगी (multipurpose) उपकरण है जो सोलर एनर्जी सिस्टम में लचीलापन लाता है। यह सोलर पैनलों से मिलने वाली डायरेक्ट करंट (DC) को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में बदलने के साथ ही बैटरी से जुड़कर बिजली की स्टॉरेज का काम भी करता है। इसे ग्रिड से भी जोड़ा जा सकता है।
दिन के समय जब आप सौर ऊर्जा का उपयोग नहीं कर रहे होते हैं, तो हाइब्रिड इन्वर्टर अतिरिक्त बिजली को बैटरी में स्टोर कर लेता है। शाम के समय या बिजली जाने पर, यह बैटरी की ऊर्जा का इस्तेमाल कर आपके उपकरणों को चला सकता है। ग्रिड से जुड़े होने का मतलब है कि आप जरूरत पड़ने पर बिजली ग्रिड से ले सकते हैं और अतिरिक्त उत्पादन होने पर ग्रिड को बिजली भी भेज सकते हैं।
Central Inverter:सेंट्रल इनवर्टर
बड़े पैमाने पर सोलर फार्मों के लिए आदर्श, सेंट्रल इनवर्टर कई सोलर पैनलों के आउटपुट को संभालते हैं। ये काफी कुशल होते हैं लेकिन इनमे पैनल-स्तरीय निगरानी का अभाव है। इनमें भी स्ट्रिंग इन्वर्टरों की तरह, कई सोलर पैनल स्ट्रिंग होती है जो पहले एक कॉम्बाइनर बॉक्स में कनेक्ट होती हैं। इस तरह के कई कॉम्बाइनर बॉक्स एक सेंट्रल इन्वर्टर से जुड़े होते हैं। सेंट्रल इन्वर्टर स्थापित करने की लागत अपेक्षाकृत कम होती है, लेकिन बड़े आकार और जटिलता के कारण इसका रखरखाव थोड़ा जटिल हो सकता है।
टेक्नोलॉजी के आधार पर solar inverter के प्रकार
PWM सोलर इन्वर्टर
पीडब्लूएम (PWM) इन्वर्टर डीसी इनपुट को पल्स के रूप में काटकर डीसी को एसी पावर में परिवर्तित करता है। इस प्रकार के इन्वर्टर व्यापक रूप से उपयोग किये जाते है। लेकिन ये अपेक्षाकृत कम कुशल होते हैं और इनमें हार्मोनिक विरूपण (Distortion) की संभावना होती है। लागत कम होने के कारण इनका उपयोग छोटे से मध्यम आकर के सोलर सिस्टम्स में अधिक किया जाता है।
MPPT सोलर इन्वर्टर
MPPT इन्वर्टर अधिकतम पावर प्वाइंट को ट्रैक करके सौर ऊर्जा दक्षता को अधिकतम करता है। यह सोलर पैनलों से ऊर्जा उत्पादन को अनुकूलित करने के लिए परिचालन स्थितियों को समायोजित (एडजस्ट) करता है।
इस प्रकार का इन्वर्टर अधिक जटिल और महंगा होता है, लेकिन यह उच्च ऊर्जा आउटपुट प्रदान करता है, विशेष रूप से परिवर्तनशील मौसम में। यह PWM इन्वर्टर की तुलना में 30% तक अधिक आउटपुट प्रदान कर सकता है। बड़े स्केल के सोलर फार्मों में MPPT टेक्नोलॉजी वाले इन्वर्टर ही इस्तेमाल किये जाते हैं।
Conclusion:निष्कर्ष
सोलर इन्वर्टर (Solar Inverter), सोलर एनर्जी सिस्टम का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह सोलर पैनलों द्वारा उत्पादित डायरेक्ट करंट (DC) बिजली को हमारे घरों में उपयोग होने वाली अल्टेरनेटिंग करंट (AC) बिजली में बदलता है। इन्वर्टर के प्रकार का चुनाव आपकी छत के प्रकार, उपलब्ध जगह, बिजली की खपत और बजट पर निर्भर करता है। सही इन्वर्टर को चुनने से आप अधिकतम सोलर एनर्जी का उपयोग कर सकते हैं और अपने बिजली के बिलों को कम कर सकते हैं।
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