
आजकल हर व्यक्ति अपने घर पर सोलर लगाना चाहता है परन्तु इस पर आने वाले शुरुआती खर्च को देखकर कुछ ही लोग सोलर लगाने के अपने विचार पर आगे बढ़ पाते हैं। सोलर इंस्टालेशन में सोलर इन्वर्टर की कीमत का अच्छा-खासा योगदान रहता है।
यदि आप भी उन लोगो में से हैं जो सोलर लगाने में आने वाले खर्च को देखकर पीछे हट रहें है तो आज की ये ब्लॉगपोस्ट सिर्फ आप के लिए ही है। आज हम आपको बताएँगे की कैसे बहुत ही कम खर्च में आप अपने साधारण इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर बना सकते हैं और अपने सोलर लगाने के खर्च को कम कर सकते है।
कैसे बनाएं घर के इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर ?
किसी भी इन्वर्टर का मुख्य काम DC करंट को AC करंट में बदलना होता है। एक सोलर इन्वर्टर भी यही काम करता है। वह सोलर पैनल से मिलने वाली DC करंट को AC करंट में बदल देता है ताकि इसका इस्तेमाल सभी घरेलु उपकरणों को चलाने में किया जा सके। उसके अलावा यह सोलर से मिलने वाली DC करंट को बैटरी में स्टोर भी कर सकता है। जबकि साधारण इन्वर्टर ऐसा नहीं कर सकता। वह केवल DC करंट को AC करंट में या AC करंट को DC करंट में बदल सकता है।
इस काम के लिए आपको जरूरत पड़ती है एक सोलर चार्ज कंट्रोलर की जोकि आपके सोलर पैनल और बैटरी के बीच जुड़कर बैटरी की चार्जिंग और डिस्चार्जिंग को कंट्रोल करता है। दूसरे शब्दों कहें तो यह आपके साधारण इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में बदल देता है। एक सोलर इन्वर्टर में चार्ज कंट्रोलर इनबिल्ट होता है, अतः उसको अलग से किसी चार्ज कंट्रोलर की जरुरत नहीं होती है।
क्या होता है सोलर चार्ज कंट्रोलर ?
सोलर चार्ज कंट्रोलर एक ऐसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल सोलर पैनल से प्राप्त होने वाली DC करंट को बैटरी में स्टोर करने के लिए किया जाता है। एक सोलर पैनल का आउटपुट सोलर रेडिशन या धुप के अनुसार बदलता रहता है जिसे कण्ट्रोल करने का काम एक चार्ज कंट्रोलर करता है। यह बैटरी को ओवरचार्ज तथा ओवरडिस्चार्ज होने से बचता है। साथ ही बैटरी के करंट को रात के समय सोलर पैनल पर जाने से भी रोकता है।
सोलर चार्ज कंट्रोलर के प्रकार
सामान्यतः बाजार में दो तरह के चार्ज कंट्रोलर उपलब्ध है:-
1. PWM सोलर चार्ज कंट्रोलर : – PWM की फुल फॉर्म पल्स विड्थ मॉड्यूलेशन (Pulse Width Modulation) है। ये चार्ज कंट्रोलर काफी सस्ते होते है।
2. MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर :- MPPT की फुल फॉर्म मैक्सिमम पावरपॉइंट ट्रैकिंग (Maximum Power Point Tracking) है। ये अपेक्षाकृत महंगे होते है।
यदि आप MPPT और PWM सोलर चार्ज कंट्रोलर के बारें में विस्तार से जानना चाहते है तो हमारी पोस्ट PWM vs MPPT solar inverter के बारे में सम्पूर्ण जानकारी को अवश्य विजिट करें।
कैसे करें कनेक्ट ?

वैसे तो सोलर चार्ज कंट्रोलर को कनेक्ट करना बहुत ही आसान है। यदि आपको इलेक्ट्रिकल वायरिंग की थोड़ी भी जानकारी है तो आप इसे खुद से भी कनेक्ट कर सकते हैं। परन्तु हमारा सुझाव है कि आप इसे किसी प्रशिक्षित इलेक्ट्रीशियन से ही लगवाएं। सभी उपकरणों को कनेक्ट करने का क्रम इस प्रकार रहेगा –
- सबसे पहले सोलर पैनल के टर्मिनल को चार्ज कंट्रोलर में चिन्हित जगह पर कनेक्ट करें।
- अब चार्ज कंट्रोलर की आउटपुट को इन्वर्टर के कनेक्शन के पररेलेल बैटरी में कनेक्ट करें।
- चार्ज कंट्रोलर में एक अन्य DC आउटपुट टर्मिनल भी रहता जहां से आप अपना DC लोड कनेक्ट कर चला सकते हैं।
ध्यान रहे कि ऊपर के दोनों ही स्टेप्स में पॉज़ीटिव केबल को पॉज़ीटिव टर्मिनल पर तथा नेगेटिव केबल को नेगेटिव टर्मिनल पर ही कनेक्ट किया गया हो अन्यथा कंट्रोलर ख़राब भी हो सकता है। साथ ही चार्ज कंट्रोलर का चुनाव आपके इन्वर्टर तथा बैटरी की रेटिंग के अनुसार ही किया गया हो।
सोलर चार्ज कन्ट्रोलर की कीमत
आजकल बाजार में बहुत तरह के सोलर चार्ज कंट्रोलर उपलब्ध है। इनकी कीमत चार्ज कंट्रोलर के टाइप, उसके ब्रांड, उसकी क्वालिटी तथा उसकी रेटिंग पर निर्भर करती है। बाजार में 12 Volt, 20 AMP के चार्ज कंट्रोलर 600 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक की कीमत में उपलब्ध है। वहीं 50 AMP के सोलर चार्ज कंट्रोलर 3000 रुपए से लेकर 8000 रुपए तक की कीमत में उपलब्ध हैं।
निष्कर्ष
इस पोस्ट में आपने जाना कि आप एक सोलर चार्ज कंट्रोलर की सहायता से कैसे अपने साधारण इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में बदल सकते हैं। इसके कई फायदे हैं जैसे; यह आपके सोलर सिस्टम इंस्टॉलेशन की लागत को कम करता है। यह आपकी बैटरी को ओवरचार्जिंग से बचाकर उसकी लाइफ बढ़ता है।
सोलर पावर का इस्तेमाल कर आप बिजली के बिल पर अच्छी-खासी बचत कर पाते है। साथ ही आपके साधारण इन्वर्टर का बेहतर इस्तेमाल हो जाता है। अंत में इतना ही कहूँगा कि साधारण इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में कन्वर्ट करना बिजली तथा पर्यावरण दोनों को बचाने का एक स्मार्ट तरीका है।
Frequently asked questions I ज्यादातर पूछे जाने वाले प्रश्न
साधारण इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में बदलने के क्या लाभ हैं?
इससे सोलर सिस्टम इंस्टॉलेशन की प्रारंभिक लागत कम आती है। ओवरचार्जिंग न होने बैटरी की लाइफ बढ़ जाती है । साथ ही आपके साधारण इन्वर्टर का बेहतर इस्तेमाल हो पाता है।
सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में बदलने के लिए किन उपकरणों की ज़रूरत होती है?
सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में बदलने के लिए, आपको सोलर पैनल और सोलर चार्ज कंट्रोलर की ज़रूरत होगी।
सोलर चार्ज कंट्रोलर कितने प्रकार के होते हैं?
सोलर चार्ज कंट्रोलर के दो मुख्य प्रकार हैं: PWM और MPPT।
बदला हुआ सोलर इन्वर्टर सिस्टम कितने समय तक चल सकता है?
उचित रखरखाव और हाई क्वालिटी उपकरणों के साथ, सोलर पैनलों से 25-30 साल, इन्वर्टर से 10-15 साल और बैटरी से 4-7 साल तक चलने की उम्मीद करें, जो कि बैटरी के प्रकार पर निर्भर करता है (लिथियम-आयन लीड-एसिड से अधिक समय तक चलता है)।