Types of solar modules: From Crystalline to Thin-Film
परिचय (Introduction)
Types of solar modules: From Crystalline to Thin-Film | सोलर मॉड्यूल्स के प्रकार: क्रिस्टलीन से थिन-फिल्म तक
ऐसे युग में जहां अक्षय ऊर्जा स्रोत प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं, सोलर मॉड्यूल्स या सौर पैनल स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा की खोज में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरे हैं। इस ब्लॉग का उद्देश्य सौर पैनलों की दुनिया में गहराई से जाना, उनकी तकनीक, Types of solar modules: From Crystalline to Thin-Film | सोलर मॉड्यूल्स के प्रकार: क्रिस्टलीन से थिन-फिल्म आदि के बारे में जानकारी हासिल करना है।
Types of solar modules: From Crystalline to Thin-Film
सोलर मॉड्यूल्स क्या होते है ? (What are solar modules)
सोलर मॉड्यूल एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो सूर्य के प्रकाश को बिजली (इलेक्ट्रिसिटी) में बदल देती है। परन्तु ये बिजली बनाने का काम वास्तव में एक सोलर सेल करती है। लेकिन एक सोलर सेल उपयोगी या जरुरी आउटपुट सप्लाई नहीं कर सकती। इसीलिए कई सेल्स को जरुरत के हिसाब से जोड़ कर एक मॉड्यूल का निर्माण किया जाता है। आमतौर पर 60 या 72 सोलर सेल को जोड़कर एक सोलर पैनल बनाया जाता है। आजकल 3 वाट से लेकर 650 वाट तक के मॉड्यूल्स आसानी से बाजार में उपलब्ध है।
सोलर मॉड्यूल्स के घटक (Parts of Solar Modules)
सोलर पैनल कई कंपोनेंट्स से मिलकर बना होता है – सोलर सेल्स, फ्रेम, जंक्शन बॉक्स, इ वी ए, टेडलर या बैक शीट, शीशा या टेम्पर्ड ग्लास, केबल, कनेक्टर, बसबार आदि।

Types of solar modules: From Crystalline to Thin-Film
सोलर मॉड्यूल्स के प्रकार
Types of solar modules: From Crystalline to Thin-Film
सोलर मॉड्यूल्स मुख्यत: तीन प्रकार के होते है – मोनो-क्रिस्टलीन सोलर मॉड्यूल्स, पाली-क्रिस्टलाइन सोलर मॉड्यूल्स या पैनल्स और थिन-फिल्म सोलर पैनल्स
मोनो - क्रिस्टलीन सोलर मॉड्यूल्स (Mono-crystalline solar modules)
क्योंकि ये शुद्ध सिलिकॉन से बने होते है। आप उन्हें उनके गहरे नीले रंग और गोल किनारों से आसानी से पहचान सकते है। मोनोक्रिस्टलाइन पैनलों में ज्यादा बिजली उत्पादन होता है, कम जगह घेरते हैं और सबसे लंबे समय तक चलते हैं। यदि पैनल्स की दक्षता के नजरिये से देखे तो ये पैनल्स सर्वोत्तम गिने जाते है। इसीलिए ये अन्य सोलर पैनल्स की तुलना में ज्यादा महंगे भी होते है।
इन्हें “पैसिवेटेड एमिटर और रियर कॉन्टैक्ट”(PERC) पैनल के रूप में भी उत्पादित किया जा सकता है जो उन्हें बैक सेल के माध्यम से अनअवशोषित सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करने की क्षमता देता है। इससे ये पारंपरिक मोनोक्रिस्टलाइन सेल्स की तुलना में ज्यादा एफ्फिसिन्सी प्रदान करते है। हालाँकि, सिर्फ इसलिए कि वे दक्षता (Efficiency) के मामले में बेहतर हैं इसका मतलब यह नहीं है कि वे आपके सेटअप के लिए सही हैं। अन्य प्रकार के मॉड्यूल्स के अपने फायदे और उपयोग हैं।
पॉली-क्रिस्टलाइन सोलर मॉड्यूल्स या पैनल्स (Poly or Multi-crystalline solar modules )
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर मॉड्यूल वे सोलर मॉड्यूल होते हैं जिनके अंदर एक ही सोलर सेल में सिलिकॉन के कई क्रिस्टल होते हैं। वैश्विक स्तर पर उत्पादित सोलर पैनल्स में 50% सोलर पैनल्स पाली-क्रिस्टलाइन ही होते है। इनको आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि इस प्रकार के सौर पैनलों में वर्गाकार सोलर सेल्स लगे होते हैं, इनके किनारे नुकीले होते हैं, और यह नीला, धब्बेदार दिखता है।
इन्हें कच्चे सिलिकॉन को पिघलाकर बनाया जाता है, जो मोनोक्रिस्टलाइन पैनलों की तुलना में तेज़ और सस्ती प्रक्रिया है। इनकी दक्षता (efficiency) कम होती है इसलिए ये ज्यादा स्थान घेरते है। इनकी लाइफ मोनोक्रिस्टलाइन पैनलों की तुलना में कम होती है और ये तापमान बढ़ने पर अधिक प्रभावित होते हैं।
थिन-फिल्म सोलर पैनल्स (Thin-film solar panels)
यदि आपने कभी सोलर संचालित पॉकेट कॅल्क्युलेटर्स का इस्तेमाल किया होगा तब आपने उनमे लगे सोलर पैनल्स भी जरूर देखे होंगे। ये अमोर्फोस सिलिकॉन से बने थिन-फिल्म सोलर पैनल्स होते हैं। इस प्रकार के सौर पैनल ट्रिपल लेयर्ड तकनीक का उपयोग करते हैं, जो थिन-फिल्म किस्म में सबसे अच्छा है। इस प्रकार के सौर पैनलों का उत्पादन करना सबसे आसान है और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने पर ये अपेक्षाकृत सस्ते पड़ते हैं क्यूंकि इसके उत्पादन के लिए कम सामग्री की आवश्यकता होती हैं।
थिन-फिल्म सोलर सेल मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन किस्मों की तुलना में कम दक्षता (efficiency) वाले होते हैं, इसलिए इन्हें अक्सर बड़े कमर्सिअल सोलर प्लांट्स में उपयोग किया जाता है जिसमें जगह की कोई बाधा नहीं होती है। थिन-फिल्म सौर पैनलों का निर्माण एक सब्सट्रेट पर फोटोवोल्टिक सामग्री (जैसे सिलिकॉन, कैडमियम या तांबा) की एक या अधिक फिल्मों को रखकर किया जाता है। इनके निर्माण में वैसे तो विभिन्न प्रकार की सामग्री का उपयोग होता है लेकिन आमतौर पर कैडमियम टेलुराइड और अमोरफस सिलिकॉन का उपयोग सबसे ज्यादा होता है।
अन्य सोलर पेनल्स (Other types of solar modules or panels)
आजकल सोलर पैनल की अन्य कई टेक्नोलॉजी भी प्रसिद्धि प्राप्त कर रही है जैसे – बाईफेसिअल सोलर पेनल्स, सोलर पर्क पेनल्स, सोलर कोंसेरट्रटोर, हाफ कट सोलर पेनल्स आदि। इसके अतिरिक्त TOPCon Solar Modules भी आजकल बहुत ज्यादा प्रसिद्धि प्राप्त कर रहे है। हलांकि ये सभी मोनो सोलर पैनल्स भी मोनो क्रिस्टलीन के ही प्रकार है लेकिन इनके बनाने की तकनीक और उत्पादन क्षमता इन्हे अलग खड़ा करती है। आइये, अब इनमे से कुछ प्रमुख सोलर पैनल्स के बारे में जाने।
बाईफेसिअल सोलर पेनल्स (Bifacial solar panels)
बाइफेशियल सोलर पैनल अपने आगे और पीछे दोनों तरफ सूर्य की रोशनी ग्रहण करते हैं, जिससे पारंपरिक पैनलों की तुलना में उनकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता दोगुनी हो जाती है। वे विसरित या कम प्रकाश स्थितियों में भी अधिकतम उत्पादन करते हैं। हालाँकि इनकी प्रारंभिक लागत अधिक हो सकती है, परन्तु इनकी बढ़ी हुई दक्षता और बहुमुखी प्रतिभा उन्हें सौर ऊर्जा उत्पादन को अधिकतम करने के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है।
हाफ कट सोलर पैनल (Half cut solar panel)
हाफ कट सोलर पैनल में सोलर सेल को आधा कट करके प्रयोग किया जाता है, जिससे प्रतिरोधक हानि कम होती है और दक्षता बढ़ जाती है। सोलर सेल्स को छोटे वर्गों में विभाजित करके, प्रत्येक सामान्य वोल्टेज का आधा उत्पादन करके, ये पैनल छायांकन प्रभाव को कम करते हैं और कम रोशनी की स्थिति में प्रदर्शन को बढ़ाते हैं।
सामान्य सोलर पेनल्स के किसी भाग पर छाया पड़ने पर उनका उत्पादन बंद हो जाता है जबकि हाफ कट सोलर पैनल के एक हिस्से में छाया पड़ने पर आधा पैनल उत्पादन करता रहता है। इनमे हॉटस्पॉट का प्रभाव भी काम देखने को मिलता है। अपनी बढ़ी हुई दक्षता और विश्वसनीयता के कारण, ये पैनल आवासीय और वाणिज्यिक सौर प्रतिष्ठानों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
आधुनिक युग में बढ़ती इलेक्ट्रिसिटी की जरूरतों को पूरा करने में सोलर पेनल्स महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। टेक्नोलॉजी में प्रगति ने सोलर पेनल्स की दक्षता और सामर्थ्य को बढ़ावा दिया है, जिससे इन्हे व्यापक रूप से अपनाया जा रहा है। समर्थन और निवेश के साथ, सौर ऊर्जा एक स्थायी भविष्य, उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा स्वतंत्रता को सुरक्षित करने का वादा करती है। सोलर पैनल एक स्थायी भविष्य के लिए आशा की किरण के रूप में खड़े हैं, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, जलवायु परिवर्तन को कम करने और ऊर्जा स्वतंत्रता हासिल करने की दिशा में एक मार्ग प्रदान करते हैं।
सोलर पैनल के बारे में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल (Common FAQs about solar panels)
Q.1 सौर पैनल के 3 प्रकार क्या हैं?
मोनोक्रिस्टलाइन (Monocrystalline), पॉलीक्रिस्टलाइन (Polycrystalline) और थिन-फिल्म पैनल (Thin-film solar panels)
Q.2 सोलर पैनल के क्या फायदे है ?
सोलर पैनल की सहायता से आपको पूरे साल निर्बाध बिजली मिलेगी, आपकी पैसों की बचत होगी, साथ ही पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा। यदि आप भी अपने घर पर सोलर पैनल लगाना चाहते है तो आप हमारे ब्लॉग पोस्ट 3KW solar system price in India with subsidy | भारत में 3KW सोलर सिस्टम की कीमत और सब्सिडी को विजिट कर सकते हैं।
Q.3 सोलर पैनल का दूसरा नाम क्या है?
सोलर पैनल को सोलर मॉड्यूल के नाम से भी जाना जाता है।
Q.4 किस प्रकार का सोलर पैनल सबसे अच्छा है?
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सबसे अच्छा सोलर पैनल होता है।
Q.5 सौर ऊर्जा में कौन सा करंट होता है?
DC करंट या डायरेक्ट करंट
Q.6 सोलर पैनल का चुनाव कैसे करें ?
सोलर पेनल्स का चुनाव कई कारको पर निर्भर करता है जैसे – एफिशिएंसी, आउटपुट, कीमत, वार्रन्टी आदि। अधिक जानकारी के लिए हमारे ब्लॉगपोस्ट Best solar panel in India 2024 -भारत में सर्वश्रेष्ठ सोलर पैनल कैसे चुनें ? को विजिट करें।